भोगवती नाम की एक नगरी थी । उसमे
राजा रूपसेन राज करता था। उसके पास
चिंतामणि नाम का एक तोता था। एक दिन राजा ने
उससे पूछा, "हमारा ब्याह किसके साथ होगा ?"
तोते ने कहा, "मगध देश के
राजा की बेटी चन्द्रावती के साथ होगा" राजा ने
ज्योतिषी को बुला कर पूछा तो उसने
भी यही कहा ।
उधर मगध देश के राज - कन्या के पास एक
मैना थी । उसका नाम मदनमंज़री था । एक दिन
राज - कन्या ने उससे पूछा की मेरा विवाह किसके
साथ होगा तो उसने कह दिया की भोगवती नगर के
राजा रूपसेन के साथ होगा ।
कुछ दिन के बाद दोनों का ब्याह हो गया । रानी के
साथ उसकी मैना भी आ गयी । राजा - रानी ने
तोता - मैना का ब्याह करके उन्हें एक पिंजरे में रख
दिया ।
एक दिन की बात हैं तोता - मैना में बहस हो गयी ।
मैना ने कहा "आदमी बड़ा पापी, दगाबाज़ और
अधर्मी होता हैं" तोता ने कहा "स्त्री झूठी,
लालची और हत्यारी होती हैं" दोनों का झगरा बढ़
गया तो राजा ने कहा, "क्या बात हैं, तुम आपस में
लड़ते क्यों हो ?" मैना ने कहा, "महाराज, मर्द बड़े
बुरे होते हैं"
इसके बाद मैना ने इक कहानी सुनायी :-
इलापुर नगर में महाधन नाम का एक सेठ रहता था ।
विवाह के बहुत दिनों बाद उसके घर एक
लड़का पैदा हुवा । सेठ ने उसका बड़ी अच्छी तरह से
लालन - पालन किया, पर लड़का बड़ा होकर जुआ
खेलने लगा । इस बिच सेठ मर गया । लड़के ने
अपना सारा धन जुए में खो दिया । जब पास में कुछ
नहीं बचा तो वो नगर छोरकर चन्द्रपुरी नामक