Baital Pachisi - बेताल पच्चीसी (पाँचवी कहानी)

789 2 0
                                    

उज्जैन में महाबल नाम का एक राजा था ।

उसका हरिदास नाम का एक दूत

था जिसको महादेवी नाम की बड़ी सुन्दर

कन्या थी । जब वह विवाह योग्य हुई तो हरिदास

को बहुत चिंता होने लगी । इसी बिच राजा ने

हरिदास को दुसरे राजा के पास भेजा । कई दिन

चलकर हरिदास वहाँ पहुँचा । राजा ने उसे

बड़ी अच्छी तरह से रखा । एक दिन एक ब्राह्मण

हरिदास के पास आया । बोला "तुम

अपनी लड़की मुझे दे दो" हरिदास ने कहा "मैं

अपनी लड़की उसे दूंगा, जिसमे सब गुण होंगे"

ब्राह्मण ने कहा, "मेरे पास एक ऐसा रथ हैं, जिसपर

बैठकर जहाँ चाहो घड़ी भर में पहुँच जाओगे" हरिदास

ने कहा "ठीक हैं सबेरे उसे ले आना"

अगले दिन दोनों रथ पर बैठ कर उज्जैन आ पहुँचे ।

दैवयोग से उससे पहले हरिदास

का लड़का अपनी बहन को किसी दुसरे को और

हरिदास की स्त्री अपनी लड़की को किसी तीसरे

को देने का वादा कर चुकी थी । इस तरह तीन वर

इकट्ठे हो गये । हरिदास सोचने लगा की कन्या एक

हैं, वर तीन - तीन । क्या करे? उसी बिच एक

राक्षस आया और कन्या को उठा कर विंध्याचल

पहाड़ पर ले गया ।

तीनो वरो में एक ज्ञानी था हरिदास ने उससे

पूछा तो उसने बता दिया की एक राक्षस

लड़की को उड़ा ले गया हैं । और इस वक़्त वह

विंध्याचल पहाड़ पर हैं ।

दुसरे ने कहा "मेरे रथ पर बैठकर चलो ।

जरा सी देरी में वहाँ पहुँच जायेंगे"।

तीसरा बोला "मैं शब्दभेदी तीर चलाना जानता हूँ

राक्षस को मार गिराऊंगा"।

वे सब रथ पर चढ़ कर विंध्याचल पहाड़ पर पहुँच गये

और राक्षस को मारकर लड़की को बचा लिये ।

इतना कहकर बेताल बोला, "हे राजन, बताओ वह

लड़की उन तीनों में से किसको मिलनी चाहिये ?"

राजा विक्रम ने कहा, "जिसने राक्षस

को मारा उसको मिलनी चाहिए,

क्योकि असली वीरता तो उसी ने दिखाई।

बांकी दोनों तो मदद की"

राजा का इतना कहना था की बेताल फिर से पेड़ पर

जा लटका और जब राजा विक्रम ने उसे पेड़ पर से

उतार कर लाया तो रास्ते में बेताल ने

छठी कहानी सुनायी ।

जो मैं आपको अगले भाग में सुनाऊंगा ....

Baital Pachisi - बेताल पच्चीसी (विक्रम-बेताल)जहाँ कहानियाँ रहती हैं। अभी खोजें