EQUILIBRIUM HYPOTHESIS

60 3 0
                                    

" THINKING OF MY THOUGHTS"

I found my hypothetical BASE
It is only inside my illogical CRAZE
Covering all my comforts & all my EASE
Where i am fully STABLE in PAVES of
My each & every PHASE.

I finally realized that it is just a RACE
& It'll never gonna end like infinitive CAVE.  

▶When i found myself in a ..
'VARIABILITY RANGE'
It so so cruel that all my HATERS automatically RAISE..

But it is quite obvious for me i can easily evaluate them or better i can TRACE
Sometimes i face them &
many times i got CAGED ..

Eventually it turns me UP, even it feels so AMAZED !! when anyone of them suddenly Shaft it to PRAISE..

😅 At last  it all get messed & get SAVAGED

Here on that STAGE i only observe them
so deeply  ..To penetrate them in my

*NEXT UPCOMING DRAFTAGE*
_____________________________________________
                     •HINDUIZED  FORMAT•
 

                         ⚠ Trial-Mode
     (please ignore minute Irratums / Mistakes)

• मैंने  अपने बेतुके अस्तित्व को खोज निकाला है..
यह केवल मेरे काल्पनिक पागलपन में उपयुक्त है,
मेरे उन सभी स्तिथियों में जहां मैं आरामदेह मेहसूस करता हूं।

•और इसी अजीब सोच के कारण मैं अपने आप को औरो से काफ़ी अलग मेहसूस करता हूं ..
जिससे मेरे ना चाहने वाले और ज्यादा बढ़ जाते हैं।

•पर यह सब मेरे लिए अब आम हैं , अब मै उनको आसानी से पहचान सकता हूं ।
कभी कभी तो उनको मैं समझा लिया करता हूं व कभी कभी टकरा जाया करता हूं जिससे सब कुछ अजीब सा/असामाजिक सा माहौल हो जाता है।

•फिर उस पल मैं केवल उनको गहराई से मापतोल
करता हूं  और अच्छे से परख कर अपने आने वाले शब्दों में उनके सुंदरता को गड़ता हूं!.....
इस तरह से मैं अपने अस्तत्व को स्थिरता की और धकेलने में कामयाब होता हूं ।.......
यही है मेरा ...

[संतुलन परिकल्पना]
[EQUILIBRIUM HYPOTHESIS]

|| र!ह-UL||

UNPUBLISHED OUTLINESWhere stories live. Discover now