मैं बनूँ

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रौशन करदे जो रातों को भी अपने नूर से
तेरी उस हँसी की वजाह मैं बनूँ।

नाफरमानी जिसकी तू कर ना सके
तेरे उस वादे की रज़ा मैं बनूँ।

होश में भी बहकता जाए जो
तेरी उस मुहब्बत का नशा मैं बनूँ।

जिसे सहते हुए ख़ुशी-ख़ुशी जान वारदे तू
तेरी वो ख़ुशनसीब सज़ा मैं बनूँ।

जिसे ठुकरा के तू जा ना पाए कभी
तेरे दिल की वो महफूज़ पनाह मैं बनूँ।

जिसका अस्तित्व ही हो नमाज़ों से तेरी
तेरा वो अज़ीज़ ख़ुदा मैं बनूँ।

धुप में क्या छाँव में भी तनहा तुझे ना करे जो
तेरी वो परछाई सदा मैं बनूँ...हर दफा मैं बनूँ।

मैं बनूँWhere stories live. Discover now