दिल में बाते रखकर भी
चुप होना सीख लिया है
तेरे साथ होके भी
ना होना सीख लिया हैऐसी कितनी शामें थी
जब दिल ये तुझसे बाँटा था
जहाँ जहाँ तेरा नाम लिया
वहाँ हँसके तूने डाँटा थातुझसे ब्याँ करने के बजाय
छिपके रोना सीख लिया है
तेरे साथ होके भी
ना होना सीख लिया हैवो लम्हा कितना खास था
जब तू मेरे पास था
जज़्बाती होके खो दूँ उसे
ये सौदा मुझे न रास थाअपने इन पागल ख्वाबों को
नज्मों में पिरोना सीख लिया है
तेरे साथ होके भी
ना होना सीख लिया हैकितनी बार पूछा तुझे
क्या बात है कि हम साथ नहीं
एक राह पर चलते हैं
हाथो में फिर क्यों हाथ नहींउन बेबुनियाद सवालों को
अश्कों में भिगोना सीख लिया है
तेरे साथ होके भी
ना होना सीख लिया हैना तुझे जो रास आई
ऐसी क्या मुझमें खामी है
है अगर तो अभी बतादे
तेरे काबिल बनने की ठानी हैना भी हो तो हमने भी अब
ऐसे ही जीना सीख लिया है
तेरे साथ होके भी
ना होना सीख लिया है