इश्क़ के समंदर मे डूबा हु , बचा लो पतवार बनकर
शादियों से भटक रहा हु ,अपना बना लो बिछड़ा यार बनकर
एक बार अपने घर का पता दो
हर रोज चले आएंगे तुमसे मिलने अखबार बनकर
इश्क़ के समंदर
इश्क़ के समंदर मे डूबा हु , बचा लो पतवार बनकर
शादियों से भटक रहा हु ,अपना बना लो बिछड़ा यार बनकर
एक बार अपने घर का पता दो
हर रोज चले आएंगे तुमसे मिलने अखबार बनकर