इश्क़ के समंदर

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इश्क़ के समंदर मे डूबा हु , बचा लो पतवार बनकर
शादियों से भटक रहा हु ,अपना बना लो बिछड़ा यार बनकर
एक बार अपने घर का पता दो
हर रोज चले आएंगे तुमसे मिलने अखबार बनकर

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⏰ पिछला अद्यतन: Aug 07, 2018 ⏰

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