धुंदली सी इन यादोंमें
तेरे चेहरे के सायें है
इन सायोंकी परछाईयोंमें
तुम्हें पाने के सपने हैंयादोंकी इन गलियों में
हर मकान तेरा है
मेरी मंजिल अब यही
यही मेरा मकाम हैयादोंकी ये अनजान गलियां
जाने किसकी राह देखती
चाँद तो कबका डूब गया
फिरभी आसमान को निहारतीअमावसका ये काला आसमान
शायद यही याद दिलाता है
किसीको ख़्वाबोंका चाँद मुक़म्मल
तो किसीके सपनेही अधूरे हैअधुरेसे इन सपनोंकी
अब येही दास्तां है
तुम्हारें इन यादोंमेही
अपना घर बसाना है
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कविता संग्रह
Poesiaआता मराठी सोबतच इंग्रजी आणि हिंदी भाषेतील माझे लिखाण मी येथे सादर करीत आहे. असेच प्रेम असुदे!