शाम से आंख के नमी सी है,
आज फिर आपकी कमी सी है।।जिंदगी पर भी कोई जोर नहीं,
दिल ने हर चीज पराई सी दी है।।वक़्त रहता नहीं कही टिक कर,
आदत इसकी भी आदमी सी है।।#gulzar
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Andaz-e-shyrana
Poesiaकौन कहता है, हम झूठ नहीं बोलते... तुम एक बार खेरियत पूछ कर तो देखो।
गुलज़ार
शाम से आंख के नमी सी है,
आज फिर आपकी कमी सी है।।जिंदगी पर भी कोई जोर नहीं,
दिल ने हर चीज पराई सी दी है।।वक़्त रहता नहीं कही टिक कर,
आदत इसकी भी आदमी सी है।।#gulzar