वो आदमी नही मुकम्मल बयान है

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वो आदमी नही ,मुकम्मल बयान है
माथे पे उसके चोट का गहरा निशान है
घायल है वो इश्क में किसी के
टूटा है मगर सख्त है
जैसे जिन्दगी का तार्जुबा हो गया है
वो इस शहर मे नया है मगर सावधान है
निकलता है शहर के हसी रास्तों पर
गुम हो जाता है वो अपनी ही ख्वाबों की दुनिया में
मिली हो मोहब्बत या ना मिली हो
मगर मोहब्बत मे मिली हर चोट का निशान गहरा है
वो आदमी नही ,मुकम्मल बयान है
माथे पे उसके चोट का गहरा निशान है

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⏰ Last updated: Apr 21, 2020 ⏰

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