आज में आपको आकाश की कहानी बताने जा रही हु, कैसे आकाश लाला की उधारी के चक्कर में फस गया और लाला की बीवी बन गयी।
आकाश, उम्र करीब २० साल, गोरा रंग, पतला शरीर, जैसे मानो एक लड़की का जिस्म हो।
घर की हालत इतनी भी अच्छी नहीं थी. पापा नहीं थे मेरे, माँ ने ही मुझे पाल पोसकर बड़ा किया था। इनकम सोर्स काफी लिमिटेड था, मुझे अपने खर्चे एडजस्ट करने पड़ते थे। ज्यादा क़र घर पर रेहना पड़ता था। दोस्तों के साथ बाहर भी कम जाया करता था में। कोई जॉब करके घर के खर्चो के लिए माँ को मदत करना चाहता था में। इसके लिए मेने मेरे दोस्त सूरज से बात कर राखी थी।
एक दिन सुरज घर पर आया,
आकाश : "आ सुरज, आजा बैठ। "
सूरज : "आकाश आज कल नौकरी में वह बात नहीं है। पूरा दिन ऑफिस में काम करो, दिनभर बॉस की गलियां खाओ, शाम को घर पर आने का टाइम भी फिक्स नहीं होता है। "
आकाश : "हाँ यार, यह बात तोह है। पर तू जनता है घर की हालत, इनकम सोर्स लिमिटेड होने के कारन, में आगे कुछ करने की सोच ही नहीं सकता।", "भाई कुछ तोह सोचा होगा तूने क्या करना है।"
सूरज : "भाई, सोचा है, पर अगर तू मान जाये तोह हम एक बिज़नेस शुरू कर सकते है।"
आकाश : "कैसा बिज़नेस....???"
सूरज : "सब्ज़ी का बिज़नेस, देख सब्जी सब खरीदते है, लोगो की आम जरुरत है सब्ज़ी। थोड़ी मेहनत है इस धंदे में, पर कमाई अच्छी हो जाएगी। "
मुझे सूरज की बात सही लगी। रातभर सोचने के बाद मेने सुबह सूरज को कॉल किया और उससे बिज़नेस के लिए हाँ कर दी।
आकाश : "भाई लेकिन, पैसे कैसे और कहा से आएंगे। तू जनता है मेरी फाइनेंसियल कंडीशन कैसी है करके।"
सूरज : "अरे तू टेंशन मत ले , मेने सब सोच लिया है। मेरे गली में लाला है जो ब्याज पर पैसे देता है। तू अभी घर आजा, हम उसके पास जाकर उससे सारी बात बता देंगे , मुझे यकीं है वह हमे पैसे दे देगा।"
आकाश : "ओके, में आता हु थोड़ी देर में।"
कुछ देर बाद, में तैयार होकर सूरज के घर जाने लगा। माँ ने मुझे रोका, और पूछा, "इतनी सुबह, इतनी जल्दी बिना नास्ता किये, कहा जा रहा है। "
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लाला की बीवी
القصة القصيرةआकाश की कहानी जो कैसे लाला की उधारी के चक्कर में पड़कर उसकी बीवी बन गया लेखिका: कविता आसुरी