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Stories by तठस्थ स्तम्भ
मैं by Vaibhav24Deshmukh
मैं
तुझे दिया वक़्त नुक़सान में नही गिनता मैं, उस वक़्त के सब्र को एक जीत समझता हूं... एक जीत जिसमे हर कश हार का था...
Poetry by Vaibhav24Deshmukh
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loneliness  by Vaibhav24Deshmukh
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