जन्मदिन पर‌ कविता..

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जहां होंठो पर कम होती थी मुस्कुराहट,
वहां आज आशीर्वादों से हो रहा है स्वागत,
देखा एक ख्वाब, वह बनेगी हक़ीक़त,
जन्मदिन की शुभकामनाओं से,
हो रही है मेरे जीवन की सजावट,
इतना मंगलमय अवसर है,
पर काश मैं समझ पाती समय की नज़ाकत,
ये लम्हा यूं ही थमे रहे, यही है चाहत,
उम्र बड़ी है, पर मन है नादान,
न जाने कब समझेगा जीवन की पहचान???
इसी तरह बीत जाएगा हर साल,
है अगले जन्मदिन का इंतजार,
पुन्हा‌ होगा मित्रों संग धूम धाम,
हे जन्मदिन तू फिर आजा,
यह हृदय तड़प रहा है सुनने तेरी सुरीली आहट,
क्योंकि तेरे आगमन से,
फिर एक बार भावपूर्ण अक्षरों से लिखी जाएगी,
मेरी कहावत.....
                                                   ~NithyaSuresh

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⏰ Last updated: Sep 26, 2022 ⏰

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