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अब मुझे यह लगता है की मैं कितना बड़ा बेवकूफ था जो अखबार में बलात्कार की घटना को देख कर चौक जाता था।

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अब मुझे यह लगता है की मैं कितना बड़ा बेवकूफ था जो अखबार में बलात्कार की घटना को देख कर चौक जाता था।

हम अपने आप से यह सवाल पूछते है की ऐसा कर कौन रहा है, ठीक उस जगह हम ऐसे समाज में जीते है जहां लोग एक दूसरे को बलात्कार करने की चैतावनी देते है।

हम अपने आप से यह सवाल से पूछते है की ऐसा कौन सोचता है, ठीक उस जगह हम दूसरो को अपने बिस्तर पर लेटे होने का सपना देखते है।

और तब भी हम चौक जाते हैं।

हमारी कल्पना जब दूसरो के दिल को जीतने से पहले अपने हवस की भूख मिटाने में लग जाए, तब इंसान को एक मस्तिष्क विशेषज्ञ से मिलना चाहिए। उससे पहले की वह किसी आम व्यक्ति के संपर्क में आए।

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