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"आपने मोनू को नीचे खेलते हुए देखा?"

"क्यों, मोनू घर नहीं आया?" मेने अपना ऑफिस बैग सोफे पर रखने से पहले पूछा।

तभी घर के हल्के खुले हुए दरवाजे से छोटे कद का एक इंसान घर में घुसा। वह मोनू था, उसके चेहरे पर दिख रहा था कि जरूर आज भी वह फुटबाल के गेम में गोल नहीं कर पाया।

मेने हाथ पाऊं धोए, शांति से खाने के लिए बैठा, अपनी पत्नी को हर दिन के तरह कहा।

"तुम कितनी अच्छी हो" वो कुछ ना बोली।

शनिवार की रात कभी चुप्पी ना होती, क्योंकि मोनू के मुताबिक वही दिन आजादी का दिन होता है। मोनू से जब मैने इस चुप्पी का कारण पूछा, तब उसने सिर्फ ना में सर हिला दिया।

मन ही मन मैं मुस्कुराया, लगता है आज अपने जिगरी दोस्त से लड़ाई हो गई इसकी।

मासूम Where stories live. Discover now