🖤𝓦ɑ𝓼 ⅈ𝘵 𝖊v𝖊𝖓 𝑤օ𝔯𝘵һ ⅈ𝘵?🖤

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Raj returned back to Rainbow,but the moment he entered inside,the house haunted him.The house,it seems it lost the right to be called a home,it no longer was a home.He remebered her words,how patiently,dreamily Anubhav and Haseena had decorated their house,colouring and decorating and labelling each and every corner of the house,just suiting the name "Rainbow",but now,it seems to have lost all its colours.The Rainbow seems to have been faded.It was only the dark black clouds that are remaining now,and he brought those dark clouds with him.Everywhere there were photos of Anuseena hanging,that smile on their faces,oh how happy they were together,the happiness reflected through their eyes,pure and innocent love of their's and he ruined it all.

But too late,it's just so rightly said that we undertand the value of something when we lose it.He lost his best friend,his friendship,his admirer in Haseena,he lost her,Haseena.Afterall he liked her,but what she said was right,he forgot that marignal difference between love and obsession.

He immediately entered his room and packed his stuff,boarding the next flight to bombay.He kept the keys of Rainbow on the outside of Raghav and Preeti's house,cause he didn't had any courage to face them.Though practically Haseena committed suicide,but it was a murder,a well planned murder and he is the culprit,the mastermind,he killed the person whom he claimed to have loved.

Few days after,in Raj's house,in Mumbai:

He was sitting on a rocking chair,with a paper attached to a writting pad and a pen in his hand,noting something,with his specs on.

"Sab kuch sirf hain khoya"

अपनी मोहब्बत से मैंने कुछ ना पाया,
बस सब कुछ है सिर्फ खोया।
जिंदगी ले आई मुझे इस मोड़ पर यूं,
कि अब बस जीना ना भया मुझे यूं |
अभी आते हैं ख्याल मेरे मन में कुछ यूं,
कि काश ना मिला होता तुमसे कभी,
तुम खुश रहती अभी,और ना मैं गम मना रहा होता अभी|
भूल गया था जैसे जीना मैं जिंदगी को,
मेरे बेरंग जिंदगी मैं अपने रंग ले आयी तुम कुछ इस तरह की,
जब मिला तुमसे अचानक यूं, एक जीने की वजह सी मिली|
लेकिन इस राह पर चलते-चलते, कम्बखत, मेरा दिल ये भूल गया की-
की मेरी यही वजह है किसी और की जीने की वजह छीन ले गई
खोया हम दोनों ने इस दौर में बहुत कुछ है|
लेकिन अगर, अगर मैंने चाहा होता,
तो शायद ना खोता मैं तुम्हें और ना तुम उसे|
अगर,बस अगर, मैंने ये फर्क वक्त रहते पहचान ली होती,
कि प्यार और जुनून में ज़मीन आसमान का फ़र्क होता है
तो शायद आज ना मैं ये दिन देखता|
खोया हम तीनो ने हैं, जबकी गलती सिर्फ मेरी थी,
क्यू हुवा यूं, कि गलती मेरी, और सज़ा हम तीनो को मिली|
शायद प्यार तो कभी मैंने तुमसे किया ही नहीं,
लेकिन जो जुनून था मेरा तुम्हारे लिए,
वो हम तीनो को डुबा ले गई|
कम्बखत, सच ही तो है :
"ये इश्क नहीं आसां,बस इतना तो समझ लीजे,
एक आग का दरिया है , और डूब के जाना है "
काश समय चक्र होता पास मेरे;
तो अब सब कुछ बदल देता
और ना कभी तुमसे मिलने आता,
ताकि तुम खुश रहो अपने प्यार के साथ,और मैं?
और मेरा क्या है,
जी तो रहा था जिंदगी,तुमसे मिलने से पहले भी,
वैसे ही बस जीता चला जाता|
आज! अभी ,ये बात मुझे समझ आई,
कि प्यार सब कुछ देने का नाम होता है,
और जुनून सब कुछ छीनने का नाम होता है|
अगर कभी प्यार होता!
तो मैं सिर्फ उसे खुश देखना चाहता|
लेकिन मैंने तो सिर्फ उसे तबाह कर दिया|
अपने आपको हर तरह से हारा हुआ महसुस करता हूं अभी
क्यू जीत के भी हार गया मैं?
जवाब आसान है-
क्योंकि वो जीत कभी मेरी थी ही नहीं,
वो प्यार कभी मेरी थी ही नहीं|
वो तो सिर्फ उसकी थी,
और अंत तक भी उसकी ही रही|
अपनी मोहब्बत से मैंने कुछ ना पाया,
बस सब कुछ है सिर्फ खोया।|

🖤The Maddest Obsession🖤Where stories live. Discover now