उसकी आवाज को दबा दिया,
ऐसा उसने क्या गुनाह किया |उसे बातों में जकड़ लिया
उसकी पहचान को मिटा दिया,
नजर तो तुम्हारी खराब थी ना
तो दुनिया ने उसे क्यों सूली पर चढ़ा दिया ?हां! कपड़े छोटे होंगे उसके
लेकिन सोच तो तुम्हारी छोटी थी,
पर आखिर क्या फर्क पड़ता है
वह तो सिर्फ एक बेटी थी |काश कोई उसे एक बार सुन लेता
काश कोई उसके जख्म भर देता,
'काश' कह-कह के पूरी जिंदगी बीत गई थी
किसे पता था वह पल-पल मर रही थी |मानो सारी दुनिया ने ही मुंह मोड़ लिया,
जरा सोचो
क्या अकेले उसने ही गुनाह किया ?
YOU ARE READING
अनकहे लफ्ज़
Poetryकुछ बातें अनकही रह जाती हैं और कुछ खत लिखे रह जाते हैं जब दिल डर कर सहम जाता है | लफ्ज़ कभी जो बोल नहीं पाए वह यह किताब की हर कविता बोल देगी |