गरीबी का दर्द

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चेप्टर 4

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चेप्टर 4

गरीबी

उसी समय चंद्रा को होश आ जाता है ,और वो नंदनी को देखता है और पुछता है मे कहा हु ।

नन्दनी कहती है तुम अभी अस्पताल मे हो ।

चंद्रा इस बात को सुनकर बहुत ज्यादा डर जाता है और कहता है मुझे जल्दी से मेरे घर ले जाओ ।

नंदनी कहती है डाक्टर ने तुम्हे अभी यही पर आराम करने को कहा है "लेकिन चंद्रा नंदनी की कोई बात नही मानता है खुदसे ही उठने की कोशिश करने लगता है ।"

नन्दनी पुछती है तुम यहा से क्यो जाना चाहते हो , चंद्रा कहता है मेंने तुमसे पहले भी कहा था की मेरे ऊपर दुर्भाग्य का श्राप है अगर मे यहा पर ज्यादा देर के लिए रुका तो ये पुरा अस्पताल खतम हो जाएगा इसका विनाश हो जाएगा ।

चंद्रनंदनी को कुछ समझ मे नही आता लेकिन वो ऐसे हालत मे नही देख पा रही वो कहती है"रुको मे आती हु ,।"

नन्दनी जाती है ,और अस्पताल के कुछ कर्मचारियो को बुलाकर चंद्रा के पास ले आती है, वे कर्म चारि चंद्रा को एक वीलचेयर पर समहाल कर बैठा देते है ।

चन्द्रा उस वील्चेयर पर बैठ जाता है नंदनी उस वीलचेयर को लेकर अस्पताल से बाहर जाने लगती है, नंदनी और चन्द्रा अस्पताल से बाहर निकल जाते है, जैसे ही वे दोनो अस्पताल से कुछ दुर जाकर रुकते है तभी उस एक कार उस अस्पताल की दिवार पर सीधे जाकर टकरा जाती है, उस कार के पिछे एक बहुत बडा ट्रक जा रहा था लेकिन वो अस्पताल से नही टकराता।

चंद्रा कहता है अगर मे वहा पर थोडी देर और रुकता तो वो ट्रक भी उस दिवाल से टकरा जाता अब तुम समझी मेरे इस श्राप के बारे मे ,लेकिन मे नही चाहता की तुम्हे कोई नुकसान पहुचे इस लिए तुम मुझसे थोडा दुर रहना ।

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