📢 Announcement 📢

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चंद्रिका के इतना कहने पर, वहा खड़ा वह सेना नायक के सर से पसीना टपकने लगा। वह भयभीत होकर कुछ कर पाता, उससे पहले वहा तालियों की गूंजने की आवाज आने लगी।

अवनी अपने मित्र शालिनी तथा विभोर को साथ लेकर उसी की ओर बड़े आ रहे थे । अवनी के पीछे-पीछे आ रही थी अदिति और रणधीर ।

विभोर को उनकी ओर आता देख, उस सेना नायक ने अपना सर उनकी ओर झुकाया, और कहने लगे, " कुमार, चिंता मत कीजिए! हम इस ढोंगी को, अवश्य पकड़ लेंगे।"

यह सुनकर विभोर के मुख पर, एक कुटिल से मुस्कान छा गई। वह ताली बजाते हुए आगे बढ़ने लगा।

राजकुमारी चंद्रिका तथा राजकुमारी चंद्रकला के समक्ष, सेनापति आर्यमन के पुत्र विभोर, ताली बजा रहे थे। उनकी दाई ओर खड़ी थी अवनी और बाई ओर, प्रतापगढ़ के सेना अध्यक्ष सुबाहु के पुत्र, रणधीर खड़े थे।

वास्तव में, वह सेना नायक, विभोर के अधीन था। यह सैन्य टुकड़ी, सेनापति आर्यमन की व्यक्तिगत सेना थी, जो केवल उनके, या उनके पुत्र के ही आदेशों का पालन करती थी।

अवनी ने बोहोत जटिल जंजाल बुना था, और इस समय, विभोर को उसने अपने भ्रम में पूर्णतः अधीन कर लिया था।

जब उसने यह देखा था की चंद्रिका के कुछ ही शब्दो से वह सेना नायक दर कर पीछे हट रहा था, तो उसने अपने समक्ष खड़े विभोर को आंखों से संकेत किया कि वह आगे जाए, और अपने सेनानायक को, उस चंद्रिका को पकड़ने में उसकी सहायता करें ।

अवनी का इशारा प्रकार विभोर मुस्कुराया। वह भी राजकुमारी चंद्रिका को हरा कर, अवनी के समक्ष अपने मान को बढ़ाना चाहता था।

अतः विभोर हस्ते हुए आगे आया और राजकुमारी चंद्रिका के समक्ष खड़े होकर ऊंचाई आवाज में कहने लगा, " इतना घमंड किस बात का है आपको? हा? एक राजकुमारी होने का? क्या हो अगर आपका अस्तित्व ही झूठा हो! हा?

राजकुमारी चंद्रिका जो विभोर को मुंह तोड़ जवाब देना चाहती थी, परंतु उसके शब्दो ने राजकुमारी चंद्रिका को रुकने पर मजबूर किया दिया था।

Lotus among the RosesWhere stories live. Discover now