चर्च गेट उतरकर राजु OCM के इश्तेहार को घूरते हुए दरवाज़े की ओर आगे बढ़ा.. वह रोज दरवाजे के पास ' कीसी ' का इंतजार करता था.. दरवाज़े की ऊपर ही hoarding लगाया हुआ था.दो तीन मिनिट के इंतजार में दोनों एक दुसरो को मिल जाते थे. और दोनों बस में ओफिस जाते थे तो क़भी चलकर भी जाते थे.
लेकिन आज उसे हताश होना पड़ा. वह जानता था. अब ' कीसी ' क़भी हम सफर बनेगी. लेकिन ऊस का दिल यह मानने को तैयार नहीं था.
OCM का मतलब राजु ने निकाला था.
'Office colleagues meet '
दोनों ओफिस के कर्मचारी न रहते एक दुसरो के भाई बहन बन गये थे.
एक डेढ़ साल दोनों ने साथ में काम किया था.
दोनों बहुत ही निकट आ गये थे.
ऊन के बीच की आत्मीयता ओफिस में हर किसी की आंखो को खटकती रहती थी.. ऊन के रिश्ते को जमाने की नज़र लग़ गई थी. वह राजु के करीब आकर चली गई थी.
' कीसी ' आउट स्पोकन ' थी. वह किसी को भी मुंह पर जो कुछ कहना होता था वह कह देती थी.. इस लिये सब लोग उसे पसंद नहीं करते थे..
नवनीत राय कंपनी के मालिक थे. ' कीसी ' उनको भी नहीं छोड़ती थी.. ऊस के व्यवहार से नवनीत राय का अहम चकनाचूर हो गया था. उन्होंने ने इस बात का क्रूर बदला लेते हुए ' कीसी ' को गर्भवती होने के बावजूद भी जोब से बाहर निकाल दिया था..
नवनीत राय के ऐसे कदम से राजु का सारा अस्तित्व हिल गया था. भूखे राजु को स्नेह नीर पिलाने वाली ' कीसी ' ने ऊस का जीवन बदल दिया था.
राजु जाकर बस स्टोप पर खड़ा रह गया..
ऊस वक़्त ऊस के मनोचक्षु समक्ष ' कीसी ' की छबि उभर आई. ऊस का खुश मिजाज चेहरा राजु के दिलों दिमाग़ में अंकित हो गया था. वह हमेशा राजु को एक गीत की याद दिलाती थी.
हमने तो बस यही मांगी हैं दुवाये
फूलों की तरह हम सदा मुस्कुराये' कीसी ' बेहद भोली और निखालिस थी. ऊस के चरित्र का कोई जोड़ नहीं था. वह केथोलिक थी फिर भी हर एक धर्म प्रति आस्था रखती थी. शादी सुदा ' कीसी ' ने राजु को अपार स्नेह और श्रद्धा का एहसास करवाया था. उसी की बदौलत राजु अपनी बीवी को अधिकतर चाहने लगा था.
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कीसी - रंजन कुमार देसाई - लघुकथा
Fiksi Umumएक संवेदन शील, निखालिस पवित्र स्त्री की कहानी