अतरंगी सा रंग यह,
शांति का प्रतीक है,
विधवा का प्रीत,
और मृत्यु का मौन गीत है ,
क्यों दशा ऐसी है इसकी,
शोक में विलीन है,
अतरंगी सा रंग यह,
शांति का प्रतीक है
खुशी में चटक रंगों का विवरण,
क्यों सफ़ेद अजनबी है,
शोक में जो साथ दे,
वो कैसे बदनसीब है,
उजड़े सुहाग का सहारा,
इज्जत का स्वरूप,
फिर क्यों सफ़ेद,
बेबुनियादी टिप्पणियों का प्रतिरूप।
रंगों के भेद जाल में,
महिलाओं को उलझाया,
मात्र मर्द जाने से उसके,
क्यों उसे झुटलाया?
इतनी भी क्या गलती उसकी,
दुर्दशा जो झेली उसने,
समाज की यह ढोंग आचरण ,
अकेली ही जो झेली उसने,
रंगों का यह जाल बस मन का मानव जाल है
रंगों का कोई प्रतीक नहीं,
यह बस एक उजड़ा खयाल है,
विधवा हो या सुहागन,
सब रंगों का अधिकार है,
आज यह पढ़कर शायद,
उन पिछड़ी कूटनीतियों की हार है,
लाल जो शगुन का रंग,
क्यों औरत का संयोग्य श्रृंगार है,
वही सफ़ेद रंग क्यों वियोगीय प्रतिकार है,
सफ़ेद रंग बेड़ियों का एक ऐसा प्रकार है,
मौन धारण करना ही इकलौता विचार है,
पहले से जो बेबस उसको और दबाया जाता है,
समाज में धुतकारने को उसे,
सफ़ेद पहनाया जाता है।
इस काव्य की पीढ़ा, की इकलौती यह चीख है,
सफ़ेद, औरत की विवशता नहीं,
सामूहिक शांति का प्रतीक है!
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विधवा का मौन: सफ़ेद
PoesíaThis is a poem referencing upon the orthodox ideology of our society to look at widows and this speaks on behalf of those silent mouths, for those who have been objectified all because of their husband died.