Tan ki Chaha

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अगर एक बच्चे के मन में कुछ अटपटी बात आ जाए या कुछ ऐसा देखे जो उसे समझ मे ना आए। तो वह उसे समझाना भी नहीं चाहेगा, क्योंकि वह ना समझ है
मगर कब तक …?

आधे दोपहर का वक्त रहता है, जब मैं पीछे आंगन में खेल रहा था। अपने हाथ मे प्लास्टिक की बोल लिए, मै वही साइड सामने के दिवार पे गेंद क़ो मार रहा था।  और गेंद दिवार से टकराकर वापस आने लगी तो मैं उसे कैच कर लेता। मै फिर मरता, फिर कैच करता।गेंद कभी हाथो से छूट जाते तो मैं फिर उठाकर मरता ऐसे ही यह खेल काफ़ी देर चलता रहा।

फिर खेल खेल मे गेंद दिवार से ऐसी तेजी से टकराई की मेरे ऊपर से होते हुए, सीधा नल पर जाकर गिरा। और जब तक मैं वहा पहुंच पाता… कि गेंद वहा से उछलते लुढ़कते लुढ़कते हुए, बगल वॉशरूम के अंदर चला गया

"अरे यार यह वहां कैसे चला गया" यह कहते हूए मैं सामने आया तो देखा वॉशरूम का दरवाजा हल्का सा खुला है। और भीतर हल्की सी सरसराहट सुनाई दी।

अंदर कोई बैठा था, और वह पूरी तरह से नग्न थी। मेरी सांसें रुक सी गईं। और आँखें खुद-ब-खुद उनकी तरफ चली गईं।

जब वह मेरी ओर मुड़ी तो मैंने देखा वह मेरी खुश्बू बुआ है जो मुझे देखते झिझक कर उठ गई।

""अरे... तुम यहाँ क्या कर रहे हो?" उन्होंने जल्दी से अपने पास रखा कपड़ा उठाया और खुद को ढकते हुए पूछा।

मैंने घबराहट में इधर-उधर नजरें घुमाईं और हकलाते हुए कहा, "वो... मेरी गेंद... यहां आ गई थी।"

यह कहते हैं मैं अपने नजर नीचे करके खड़ा रहा … और बुआ खड़ी होकर मेरी ओर देख रही थी। उन्होंने बाहर हल्के से झाकते हूए, फिर मेरी ओर देखा और हल्की आवाज में कहा,

"ठीक है, मैं तुम्हारी गेंद देती हूँ। लकी आ जाओ अंदर

उनके ऐसा कहते हैं मैं थोड़ा-थोड़ा ऊपर देखने लगा वह मुझे  देखकर मुस्कुरा रही थी 

"आ जाओ, डरने की ज़रूरत नहीं।" उन्होंने शांत भाव से मुस्कुराते हुए कहा 

Doctor Doctor, khel me जहाँ कहानियाँ रहती हैं। अभी खोजें