part 1

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मैं जिस समय की देसी गाँव की चुदाई कहानी बताने जा रहा हूँ, उस समय मेरी उम्र 26 साल थी.
मैंने अपने गांव में एक क्लिनिक खोल लिया था जो बहुत अच्छे से चल रहा है.
जब मैं खाली होता था तो गांव की औरतों को याद करके लंड को मसल लिया करता था क्योंकि मेरी अब तक कोई गर्लफ्रेंड नहीं थी.
एक दिन मैं अपने क्लीनिक पर खाली बैठा हुआ था.
तभी पड़ोस की भाभी मेरे सामने से होकर निकल रही थी. उसे देख कर मेरे अन्दर एक अजीब सी हलचल हुई, मेरा लंड फुंफकार मारने लगा.
वो कहते हैं न कि दाने दाने पर लिखा है खाने वाले का नाम … और हर चूत पर लिखा है चोदने वाले लंड का साईज.
मुझे उस भाभी को लेकर बड़ी कामुकता चढ़ गई थी.
मैंने भाभी के बारे में एक अपने दोस्त से पूछा जोकि गांव में ही रहता था.
उसने मुझे भाभी के बारे में काफी कुछ बताया.
अब मैं आने जाने पर उस भाभी की तरफ ही देखता था.
इसी तरह काफी समय निकल गया.
अब भाभी भी कभी कभी स्माइल देने लगी थी.
मैं आपको भाभी के बारे में बता देता हूँ. भाभी की उम्र 25 वर्ष थी. उसका साइज 32-34-36 का था और वो एक मस्त शरीर की मालकिन थी.
उसका रंग खुलता गेहुंआ था लेकिन भाभी एक मस्त माल थी.
एक रात मैं अपनी क्लीनिक पर सो रहा था. तभी अचानक रात 11 बजे भाभी ने आवाज दी.
मैं अचानक उठा तो उनसे बात हुई.
पता चला कि भाभी के पति के पेट में दर्द हो रहा है जो क्लीनिक पर आने में असमर्थ था.
भाभी ने मुझसे अनुरोध किया कि आप घर पर आकर देख लें.
मैंने दो इन्जेक्शन व कुछ दवाई लीं और उनके घर पर आ गया.
वहां मैंने देखा कि उसका पति जो बहुत शराब पीता था, वो दर्द से बेचैन है.
मैंने उसे चैक किया और एक इन्जेक्शन लगा दिया. कुछ दवाई भी खिला दी.
तभी भाभी ने अपने बिस्तर पर ही मुझे बैठने को बोला- आप कुछ देर यहीं रुक जाओ, इनका दर्द रूक जाए तभी जाना.
दस मिनट में दर्द रूक गया और मैंने भाभी को बोला- आप पता करो दर्द तो नहीं है.
जब भाभी ने उससे पूछा तो उसने गर्दन हिला कर दर्द रूक जाने के संकेत दिया लेकिन उसे नींद आ गयी क्योंकि उस पर अभी भी शराब का नशा था.
मैंने भाभी से कहा- मैं जा रहा हूँ, अब इन्हें दर्द नहीं होगा. लेकिन यह अब सुबह ही उठेंगे, इन्हें रात को परेशान मत करना.
यह मैंने मजाक के लहजे में कहा, जिस पर भाभी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और रोने लगी.
मैंने भाभी से रोने के बारे में पूछा, तो भाभी ने रोते हुए कहा- इनका तो रोज का यही नियम है … शराब पीकर बेहोश हो जाते हैं और मैं रो रोकर रात गुजारती हूँ.
मैंने उससे कहा- भाभी तुम चिन्ता क्यों करती हो. सब ठीक हो जाएगा.
भाभी- कुछ ठीक नहीं होने वाला है. ये ऐसे ही रहेंगे और मेरा कुछ भी भला नहीं होने वाला है.
मैंने कहा- तुम चिंता मत करो … मैं हूँ न … सब ठीक कर दूंगा.

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