बन न सका मैं तेरा

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बन न सका मैं तेरा राजा
तू तो मेरी रानी थी
शायद बस दो चार दिनों की
ही ये अपनी कहानी थी

तूने सदा एहसास दिलाया
मुझको बेगानेपन का
दिल ने तुझको अपना
दिल की ये नादानी थी


दिल मे रहने वाले तुझको
इतना न एहसास हुआ
कि मेरे दिल की हर इक धडकन
बस तेरी दीवानी थी


तोड दिया तुमने आखिर
शीशे जैसा दिल मेरा
पहले ही बोल दिया होता
अगर चाहत नहीं निभानी थी


दिल टूट गया कोई बात नहीं
लेकिन दिल मे अफसोस तो है
हमने क्यों जताया हक उसपे
जो अपनी नहीं बेगानी थी

बन सका मैं तेरा राजा
तू तो मेरी रानी थी
शायद बस दो चार दिनों की
ही ये अपनी कहानी थी


By raj kumar
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