जुल्म

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ऐ जुल्मों की मलिका इतना जुलम न कर
दिल मेरा नादान है दिल पे सितम न कर

बच जाये करके तेरा दीदार कोई
खाली भी जाता है तेरा वार कोई
पैदा मेरे मन में ऐसा भरम न कर
ऐ जुल्मों की मलिका ..........

बांध रहे हैं तेरे हुस्न के तार मुझे
नजरों के तीरों से यूं ना मार मुझे
सरे आम मेरा दिल चोरी ऐ बेशरम न कर
ऐ जुल्मों की मलिका.........,

ऐ जुल्मों की मलिका इतना जुलम न कर
दिल मेरा नादान है दिल पे सितम न कर

-राज कुमार
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