ऐ जुल्मों की मलिका इतना जुलम न कर
दिल मेरा नादान है दिल पे सितम न करबच जाये करके तेरा दीदार कोई
खाली भी जाता है तेरा वार कोई
पैदा मेरे मन में ऐसा भरम न कर
ऐ जुल्मों की मलिका ..........बांध रहे हैं तेरे हुस्न के तार मुझे
नजरों के तीरों से यूं ना मार मुझे
सरे आम मेरा दिल चोरी ऐ बेशरम न कर
ऐ जुल्मों की मलिका.........,ऐ जुल्मों की मलिका इतना जुलम न कर
दिल मेरा नादान है दिल पे सितम न कर-राज कुमार
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