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यहाँ भी एक बार फिर सब अजनबी थे। मुझे फिर से नये दोस्त की तलाश थी। यहाँ आकर मै चाँदनी को और भी याद करता। उसकी कमी मुझे सताने लगी थी। अब तो सारे नोट्स भी खुद ही बनाने पड़ते थे। जब हम साथ थे तो कभी भी ये एहसास नही हुई कि हम दोनों एक दुसरे के बिना अधूरे है। हर वक्त उसी के यादों मे खोया रहता, जब भी पढने बैठता उसका नाम बार-बार लिखता, उसके नामों के साथ अपने नामों को जोड़ता। अब तो उसके सपने भी आने लगे थे। उससे दुर होकर मुझे ये पता चला था कि हमारे बिच सिफ्र दोस्ती नही थी, कही ज्यादा था। वो ये बात शायद पहले समझ गयी थी, और हम आज समझ पाये थे। शायद चाहने लगा था उसे, बहुत प्यार करने लगा था।
अब जब भी मै किसी लडके को उसकी गर्लफ्रेंड से बात करते देखता। मेरा भी मन करता चाँदनी से बात करने को, उसके साथ और मूवी देखने का भी मन करता। लेकिन मै बात करता कैसे मेरे पास उसके नम्बर नही थे, मैने उसे फेसबुक पे भी खोजा, वो नही मिली।
मेरे अंदर अब बदलाव आने लगे थे। बारिश मे भीगना, डूबते सुरज को देखना, चाँद से बाते करना, तारे को निहारना अच्छा लगने लगा था। चाँदनी के याद मे मै चिकन बनाना भी सिख गया था। गोलगप्पे खाने की आदत लग गयी थी। अब तो मै क्लास मे भी कही खो जाता या बेवजह मुस्कुरा दिया करता। मैंने सोच लिया था, इस बार मै अपनी खामोशी जरूर तोड़ दूँगा। अपनी दिल की बात दूँगा। इस बार दुर्गापूजा मे जब मै चाँदनी से मिलूंगा तो उसे बता दूँगा की तुम फ्रेंड नही गर्लफ्रेंड हो मेरी।
मेरा सिरदर्द अब कम हो गया था और मुझे निंद भी आ रही थी। मुझे अगले दिन घर भी जाना था, दुर्गापूजा की छुट्टीयो मे तो मै सो गया।
अगले दिन मै जब बस से घर आ रहा था तो यही सोच रहा था की मै चाँदनी से बोलूँगा कैसे। मै उसे थोड़ा अलग स्टाइल मे, थोडे अलग तरिके से प्रपोज करना चाहता था। मैने बहुत सारे मूवी मे अलग-अलग डायलॉग के साथ हिरो को प्रपोज करते देखा था। तो मैंने भी सोचा गुलाब देते हुये, डायलॉग के साथ अपनी दिल की बात बता दूँगा।
मैं जो डायलॉग बोलने वाला था वो कुछ इसप्रकार था।
हाँ चाँदनी मै तुमसे प्यार करने लगा हूँ,
तुम वो पहली लड़की हो जिसे मैं जान से ज्यादा चाहने लगा हूँ,
तुम मेरे यादों मे, तुम मेरे सपनो मे,
तुम मेरे आज मे, तुम मेरे कल,
हर जगह सिफ्र तुम ही नजर आती हो,
तुम मेरे अंदर ऐसे समा गईं हो की मै तेरे बिना बिलकुल अकेला हूँ।
मैं तुमसे प्यार और बहुत प्यार करता हूँ।
क्या तुम मेरी गर्लफ्रेंड बनेगी।
मै बहुत खुश था क्योकि मुझे बचपन की फ्रेंड, गर्लफ्रेंड के रुप मे मिलने वाली थी।
मै घर पहुँच के सबसे मिला और इंतजार करने लगा सप्तमी का, क्योकि सप्तमी के दिन ही तो चाँदनी दुर्गा मंदिर आती थी।
इंतजार का घड़ी लंबी तो होती ही है लेकिन वो दिन आ गया जिसका मुझे इंतजार था। आज सप्तमी थी, शाम होते ही मै तैयार हो कर मंदिर पहुँच गया। हाथों मे गुलाब लिये, घबराता हुआ खड़े, मेरी आँखे चाँदनी को ढूँढ रही थी। मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था इतना डर तो मुझे परीक्षा के पहले दिन भी नही हुआ था। मै कभी गुलाब को देखता तो कभी खुद को ठीक करता। मै ये सोच रहा था अगर चाँदनी ने आज हाँ बोल दी तो उसके बालो पे फुल लगाते हुये बोलूँगा, तुम अपनी बालों पे फुल लगाया करो तुम पे बहुत अच्छी लगती है। अब आयेगी, अब आती होगी, मै इंतजार करता रहा, उसकी राह देखता रहा। शाम से रात हो गयी लेकिन वो नही आई। मै उदास हो अपने घर आ गया। वो क्यो नही आयी या आना नही चाहती, वो ठीक तो है न, कही वो हमसे नाराज तो नही। इस तरह के बहुत सवाल मेरे मन मे उठ रहे थे। लेकिन इन सब बातों को नजरअंदाज करके मै यही दुआ कर रहा था कि वो कही रहे, खुश रहे, हमेशा मुस्कुराती रहे, गम उसके करीब से भी न गुजरे।
फिर मै वापस दरभंगा आ गया और पढाई मे लग गया।
ऐसा नही है की उसकी याद नही आती थी। उसकी याद तो अक्सर आती और जब भी आती चेहरे पे मुस्कान आ जाती मै उससे प्यार तो आज भी करता हूँ और शायद हमेशा करता रहूँगा। जो प्यार एक दिल से दुसरे दिल तक न पहुँचे, वो खामोश प्यार अक्सर दिल के किसी कोने मे ही बंद रह जाते है।
फिर मै अपने पढाई मे ऐसे उलझा की चार साल तक मै दुर्गा-पूजा मे घर नही जा पाया। इन चार सालो मे न चाँदनी से कोई बात हुई और न ही चाँदनी की कोई खबर आई। हाँलाकि इस बीच मुझे उसकी एक फ्रेंड मिली थी, जिससे पता चला था की अब चाँदनी के जिदंगी मे कोई और आ गया है और वो खुश है। मेरे लिए ये बुरी खबर थी लेकिन मुझे खुशी थी क्योकि वो खुश थी और मै उसकी खुशी ही तो चाहता था। एक ये भी बात थी जिसके वजह से मै दुर्गापूजा मे घर जाने कि कोशिश भी नही कि थी। वो मेरी प्रेमिका नही थी तो क्या हुआ, वो आज भी मेरी दोस्त थी। दोस्त अगर एकदम से लम्बे समय के लिए गायब हो जायें तो उसकी खबर तो लेनी ही पड़ती है। तो मैने सोचा कि अगले दुर्गापूजा मे मै घर जाऊँगा। इस बार पूजा शुरु होते ही मै घर आ गया। इस उम्मीद मे कि मै चाँदनी से मिलूंगा, मेरी नजरें अक्सर उसे ढूँढ़ती रहती। मै अक्सर उसके घर से भी गुजरता इस उम्मीद मे की वो कही दीख जायें। आज सप्तमी थी, आज मै मंदिर पहले आ गया था। मेरा दिल कहता कि आज वो आयेगी और हम जरूर मिलेंगे। मै माँ के सामने विनती कर रहा था, हे माँ तु तो सब जानती है, आज कोई ऐसा चमत्कार कर कि मै चाँदनी से मिल पाऊ। मैने माँ को प्रणाम किया और पलता ही था कि देखा चाँदनी मेरे सामने थी। ये संयोग भी बड़ी अजीब होती है कम्बख्त किसी दिन जान ही ले लेगी। चाँदनी साड़ी मे पुरी भारतीय नाड़ी लग रही थी। वो पहले से और भी खुबसूरत हो गयी थी। उसकी मुस्कान बिलकुल वैसी थी जैसा मैनें देखा था। जब मै उसे पहली बार देखा था तब भी वो प्राथना कर रही थी और आज भी। बस फ्रक इतना था वो तब गुड़िया थी और आज पड़ी। मै उसे देखे जा रहा था। वो अचानक आँखे खोली, मेरा दिल जोड़ से धड़कनें लगा, मै घबरा गया, मै वहाँ से जाने लगा। उसने मेरा हाथ पकड़ ली। मै सहम गया, मेरे आँखे कुछ पल के लिए बंद हो गये।
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