Bas, do din ki hi to thi,
esko bhi tune na jane kiske hawale kar dia,
Dhokha hai,
bharam hai,
Es duniya ka yahi chalan hai.................
Rote hai log yaha
Apne hi maja lete haiVe bevajah ki pagdandion pe
khud ko hi saja dete hai......
Riston se bhari es jindagi ko,
Noton se tolte hai.....
Ensan kaha
ham to hewano se bolte haiबस दो दिन की ही तो थी
इसको भी तूने न जाने किसके हवाले कर दिया!!
धोखा है,
भरम है,
इस दुनियां का यही चलन है।
रोते है लोग यहाँ,
अपने ही मजा लेते हैं।
वे वेवजह की पगडंडियों पे खुद को ही सजा देते हैं।।रिश्तों से भरी इस जिंदगी को नोटों से तोलते है।
इंसानों से कहाँ हम तो हैवानों से बोलते हैं।।