याद आता है-2

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मेरे नखड़े कम ना थे
भोजन मे रंग ढुंढता
कभी इस कोने,कभी उस कोने भागता फिरता
मेरा बच्पन मन ,ना खाने केे लाखो बहाने ढुंढता रहता
तु अन्नपुरना कहां माने वाली थी
अपने बेटे को भुखा देख ,तेरे ममता विभोर मन कहां शान्त बेठने वाली थी
तु ज़िद पे अड़ गई
मुझे मनाने हेतु ब्रह्ममाणड दर्शन तु ने मुझे कराई
मुझे चंदा मामा दिखाया
सितारो पे घुमाया
फिर भी ना माना मै तो
थप्पर की शहनाई तुने मेरे गालो पे बजाया

याद आता है
तेरे ममता की छाव

माँWhere stories live. Discover now