याद आता है-3

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याद आता है
जब बिमार विस्तर पे पड़ा था मैं
तेज ज्वर से से ग्रस्त हो गया था मैं
ना खा पाता,ना पि पाता था पानी मैं
तु सुख गई थी माँ!
तेरेे होठो की हंशी कहीं खो गई थी माँ!
जितने कष्ट मुझे ना हो रहें होंगे सायद,
उस से जयादा तेरे आँखो मे दिख रहे थे माँ!
याद आता है
तु हर घड़ी मेरे सिहराने बैठी रहती
मै सोता,तु फिर भी ना सोती
तु शुबह शाम रात जगती
मेरे कष्टो को दुर करने हेतु ,
तु माँ!पुजा पाठ करती और वर्त रखती

मैं एक बात सच केहता हुं माँ!
भगवान होते होंगे,
कैसे दिखते होंगे
ये एक प्रस्न लोगो मन आते होंगे
लेकिन मेरा मन मेरा आत्मा केहता है,
यदी भगवान होते होंगे
तो बिलकुल तेरे जैसे होंगे
माँ!तेरे दो हाथ दिवार पे टंगे उस भगवान के,
दश भुजाओ से भी ज्यादा है
कोई असुर मेरा कुछ ना बिगार पायेगा
याद आता है
तेरे आंचल के घेरे मे रहना
खुद को सुरक्षित मेहसुस करना

माँWhere stories live. Discover now