तेरी सूरत से है आलम में बहारों को सबात,
तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है !
तू जो मिल जाए तो तक़दीर निगों हो जाए यूँ न था, मैंने फ़क़त चाहा था यूँ हो जाएFaiz Ahmed Faiz
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तेरी सूरत से है आलम में बहारों को सबात,
तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है !
तू जो मिल जाए तो तक़दीर निगों हो जाए यूँ न था, मैंने फ़क़त चाहा था यूँ हो जाएFaiz Ahmed Faiz