मेरी आंखों में जमें ये आंसू
ज़ख़्म बहुत बढ़ाते हैं।
न चाहती में इन को बरसाना
की मुझे ज़ख़्म छुपाने आते है
मुझे राज़ रखने आते हैं।न सिखाओ तुम लोग मुझे!
जग में कैसे जीते है।
चालाकियों से दिल जीतु औरों का
मुझे अपनी सादगी अच्छि है।अपने इस छोटे से दिल में,
बसाऊं में सौ लोगों को।
वाकीफ़ नहीं में इन कर्तुतों से
मुझे कुछ असली लोग ही काफी़ है।।******************
Dated: 18/Aug/2019
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..Behind her depth..
PoesíaThis book, endures all the pain, that bleeds my pen! My laughter, full of jitters! My guilt, which does not let me breathe! My confessions, which are frightful to verbalise! My lessons which are learned through deceptions! My life, which shows no te...