"डू यू बिलीव इन घोस्ट्स?" मेरी सहकर्मी एंजेला ने मुझसे पूछा।
"वाय?" मुझे उसके इस आकस्मिक प्रश्न पर थोड़ा आश्चर्य हुआ। अचानक यह भूत-प्रेतों का प्रसंग कहाँ से निकल आया।
"घोस्ट होते हैं" पास बैठे एक अन्य सहकर्मी स्टीव ने कहा।
अब तो मेरा आश्चर्य और भी बढ़ा। अंग्रेज़ों के बारे में मेरी धारणा यही थी कि वे वैज्ञानिक मानसिकता के लोग होते हैं और भूत-प्रेत जैसी अवैज्ञानिक बातों में विश्वास नहीं करते।
"आपने भूत देखे हैं?" मैने आश्चर्य से स्टीव से पूछा।
"भूत दिखते नहीं पर वे होते हैं" स्टीव ने आत्मविश्वास से कहा, जैसे भूतों से उसका गहरा सम्बंध हो।
"जब आपने भूत देखे नहीं तो आपको कैसे पता कि वे होते हैं?"
"भूत महसूस होते हैं"
"किस तरह?"
"आप उन्हें सेन्स कर सकते हैं, सुन सकते हैं, स्मेल भी कर सकते हैं। हम हर रात अपना टीवी बंद करके सोते हैं, मगर कभी-कभी रात को टीवी अपने-आप चालू हो जाता है। मुझे लगता है कि रात को प्रेतात्माएँ हमारे घर आकर टीवी देखती हैं"
मेरी हंसी छूटते-छूटते रुकी। मेरा मन किया कि स्टीव से प्रश्न करूं कि जो दिखते नहीं वे देखते कैसे हैं। फिर मुझे लगा कि आस्था के संसार में तर्कों की घुसपैठ वैचारिक मुठभेड़ को ही आमंत्रण देती है। बस यही सोच कर मैने इस प्रश्न को होठों पर आने से पहले ही रोक लिया।
"अचानक यह भूत-प्रेतों का प्रसंग कैसे?" स्टीव को नज़रअंदाज़ करते हुए मैने एंजेला से पूछा।
"अगले हफ़्ते हैलोवीन है। इसी उपलक्ष्य में इस सनडे हम लंदन के घोस्ट टूर पर जा रहे हैं" एंजेला की नीली आँखें चमक उठीं।
"घोस्ट टूर?" एंजेला और स्टीव दोनो ही मुझे लगातार आश्चर्य के झटके दे रहे थे।
"तुम्हे शायद नहीं पता कि लंदन विश्व का सबसे अधिक हौंटेड (भुतहा) शहर है। यहाँ के भूत-प्रेतों से जुड़े खौफनाक किस्से बड़े मशहूर हैं। इन्हीं किस्सों का अनुभव कराने के लिये घोस्ट टूर होते हैं, जिनमें ऐसी हौंटेड जगहों पर ले जाया जाता है जहां कहते हैं कि अब भी प्रेतात्माएँ बसती हैं" एंजेला ने स्पष्ट किया। इसी बीच मैने गौर किया कि स्टीव के चेहरे पर एक दर्प भरी मुस्कान तैर रही थी, जैसे कह रही हो, "देखा! मैने कहा था ना"
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Letter From London
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