#1
Sad Shayri by Manas Pratim Borah
गुफ्तगू करते थे जिसके साथ पहले
घंटो घंटो तक
आजकल उनके साथ बात नहीं होती
यह आंखें जिन्हें ढूंढता था हर जगह
उनको सामने देख कर भी
आजकल ये नज़रे उनकी तरफ नहीं मोड़ती