रुपए-पैसों से ऐशो-आराम तो खरीदा जा सकता है पर अकेलेपन को बांटने वाले दोस्त नहीं. महानगरों की व्यस्त दिनचर्या में अकेलेपन की समस्या वनवास झेलने से कहीं अधिक मुश्किल होती जा रही है.
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रुपए-पैसों से ऐशो-आराम तो खरीदा जा सकता है पर अकेलेपन को बांटने वाले दोस्त नहीं. महानगरों की व्यस्त दिनचर्या में अकेलेपन की समस्या वनवास झेलने से कहीं अधिक मुश्किल होती जा रही है.
discontinued 😭
Tae: Ye humari prem kahani kab puri hogi?
kook: Jab iss Aalsi lekhak ka mann karega!
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pesh karte hain
TaeKook ki kahaniyan Hindi me!
Mat puchna "Top kaun hai? Botto...