जिस प्रकार भारतीय धर्मग्रंथों को ऐतिहासिक रूप से प्रमाणिक नहीं माना जाता रहा है ठीक उसी प्रकार इन धर्मग्रंथों में दिखाए गए महान व्यक्तित्व भी। इसका कुल कारण ये है कि इन धर्मग्रंथों को कभी भी पश्चिमी इतिहासकारों के तर्ज पर समय के सापेक्ष तथ्यात्मक रूप से प्रस्तुत नहीं किया गया। लेकिन क्या इसका मतलब ये हैं कि हम अपने पौराणिक महानायकों को मिथक की श्रेणी में रखकर इनकी ऐतिहासिक प्रमाणिकता पर हीं प्रश्न उठाने लगे ? या कि बेहतर ये होगा कि इस तथ्य को जानकार कि ऐसा घटित हीं क्यों हुआ , इसकी तह तक जाये और प्रमाण के साथ भगवान श्रीकृष्ण आदि जैसे महान व्यक्तित्व के प्रमाणिकता की पुष्टि करे ? मेरे देखे दूसरा विकल्प हीं श्रेयकर है। और यदि हम दूसरा विकल्प चुनकर सत्य की तहकीकात करें तो हमे ये सत्य प्रमाणिक रूप से निकल कर आता है कि आज से, अर्थात वर्तमान साल 2022 से लगभग 4053 साल प