जैसा कि हम सभी जनते है, जगह जगह हिंसा और साम्प्रदायिक दंगो के तत्पशचात भारत क विभाजन हुआ । इस विभाजन से हो सकता है कुछ लोगो को ख़ुशी हुई होगी जो भारत में शांति और खुशहाली चाहते थे । और साम्प्रदायिक हिंसा के खिलाफ थे । लेकिन इस विभाजन में ऐसे लोगो की भी कमी नहीं थी जिनका इस विभाजन में सब कुछ बर्बाद हो गया था । अखंड भारत का विभाजन बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण और क्षतिपूर्ण था । इस दुर्भाग्य के शिकार एक ऐसे इंसान से मेरी मुलाकात हुई जिसका इस विभाजन ने सब कुछ छीन लिया था । वे भावनात्मक रूप से पूरी तरह टूट चुके थे । जब उनसे इस विभाजन का जिक्र करो तो उनके दिल का दर्द उनकी आँखों से आंसुओ के रूप में छलक पड़ता है । वे इस समय 80 वर्ष के है, जब विभाजन हुआ था तब उनकी उम्र 16 वर्ष थी । मै उनकी कहानी उन्ही की जुबानी सुनाता हूँ। मेरा नाम प्रेमनारायण है । मेरा जन्म भारत के एक ऐसे कस्बे में हुआ था ज