1. थके हारे परिन्दे जब बसेरे के लिए लौटें,
सलीकामन्द शाखों का लचक जाना जरूरी है,
बहुत बेबाक आंखों में ताल्लुक टिक नहीं पाता,
मुहब्बत में कशिश रखने को शर्माना जरूरी है।
- वसीम बरेलवी
1. थके हारे परिन्दे जब बसेरे के लिए लौटें,
सलीकामन्द शाखों का लचक जाना जरूरी है,
बहुत बेबाक आंखों में ताल्लुक टिक नहीं पाता,
मुहब्बत में कशिश रखने को शर्माना जरूरी है।
- वसीम बरेलवी