जब शोक सभा में पहुँचे तो
हर मुँह से सुना कि अच्छे थे
आँखों में चुभते थे तब तो
क्या अबकी आंसू सच्चे थे
ग़ैरों से गिले भी क्या करने
तुमसे तो रिश्ते पक्के थे
कुछ दुखी हैं मंच पे आए नाकुछ दुखी हैं कमती हिस्से से
कोई ख़ुशी छुपाए बैठे हैं
दर्द ऐ लिबास में अच्छे से
तुम दम भरते थे रिश्तों कावो रिश्ते कितने कच्चे थे
- Extract from my 2016 collection (in memory of my beloved maternal grandfather whom I love very much😒)
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✓|शब्द..... जो सोच से परे है|
PoetryTᕼOᑌGᕼT ᗩᕼᗩT KI ᒪᗩKIᖇ ᑎᗩᕼI.. ᗰᗩᑎ KI ᗩᗯᗩᒍ ᕼE...ᒍO ᕼᗩᖇ IᑎSᗩᑎ KO IᑎSᗩᑎIᗩT..KI ..ᗪISᗩ ᗪIKᕼᗩTI ᕼE..