वक्त के हर चोट से ,
कुछ ना कुछ सीखते रहो ।
लफ्ज कहीं खामोश ना हो जाये ,
इसलिये शब्दों से तुम चीखते रहो ।
तुम्हारी किस्मत कोई और लिख रहा है ,
पर तुम , " खुद को लिखते रहो " ।।आँसूओं को स्याही बना लो ,
दिल में जो भी गम है ।
उसे शब्दों में उतार दो।
हर कोरा पन्ना तुम्हारा है ,
फिर आँख भला क्यूं नम है ।
" खुद को लिखते रहो " हमेशा
कि वक्त बहुत कम है ।।जीवन के हर पहलू से
कुछ ना कुछ सीखते रहो ।
अपने दिल की बात करो
और " खुद को , लिखते रहो " ।।
- ✨✨✨✨THIS YEAR , I CRIED , WON , LOST, LAUGHED AND LOVED BUT ABOVE ALL , I LEARNED .
LEARN FROM 2021 GEARUP FOR 2022
HAPPY NEW YEAR
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✓|शब्द..... जो सोच से परे है|
PoetryTᕼOᑌGᕼT ᗩᕼᗩT KI ᒪᗩKIᖇ ᑎᗩᕼI.. ᗰᗩᑎ KI ᗩᗯᗩᒍ ᕼE...ᒍO ᕼᗩᖇ IᑎSᗩᑎ KO IᑎSᗩᑎIᗩT..KI ..ᗪISᗩ ᗪIKᕼᗩTI ᕼE..