कुछ किस्मत का हाथ था,
कुछ प्यारे दोस्तों का साथ था,
जो कलम मेरी तकदीर बन गई,
दिल बहलाने को यूंही लिखी थी एक कहानी,
जाने कैसे वो मेरी किस्मत की लकीर बन गई।कुछ ख्वाहिशें दबी सी थी मन में,
कुछ गुजरते वक्त ने सिखाया,
दिल की बात को कागज पर लिखना हमको आया,
देखते ही देखते ये लेखनी मेरा दिल,
रचनाएं शरीर बन गई,
कुछ अनछुए से जज़्बात थे दिल में,
छुआ जो उनको तो तहरीर बन गई।आराम तो पहले भी था जिंदगी में,
सुकून मगर अब आया है,
बेटी बहु और मां से अलग,
एक अस्तित्व मैंने ये पाया है,
ख्वाब था कुछ करके दिखाने का, लेखनी उन ख्वाबों की ताबीर बन गई,
अधूरी थी आईने में इक औरत,
पूरी अब वो तस्वीर बन गई।शुक्रिया उन प्यारे दोस्तों का,
जिन्होंने ये रास्ता दिखाया था,
जागे थे रातों को साथ मेरे,
हर पल हौसला बढ़ाया था,
यादें नहीं वो अब मेरा सरमाया हैं,
जरा जो झांका उनमें तो ये तहरीर बन गई,
मेरा नहीं मेरे दोस्तो का हौसला था जो ये लेखनी मेरी तकदीर बन गई।।