यादें जो अभी बाकी हैं

22 1 2
                                    


चमक रहा है वो जुगनू जो है तेरे नाम का,
तेरी यादों पर वक्त की धूल चढ़ना अभी बाकी है,

तेरी चाहतों की इंतहा देख ली मैंने,
मेरी मुहब्बतों का सैलाब अभी बाकी है

दिल के झरोखे में अब भी है तेरे इनकार का दिया,
उसमे मेरे मासूम इजहार की आंच अभी बाकी है

तेरे नींदों में होगा सुकून का मौसम,
मेरी रातों में तेरा ख्वाब अभी बाकी है

लिपट कर आज भी करती है तेरी खुशबू कुछ बातें,
मेरे घर के उस कोने उन रतजगो की बात अभी बाकी है

मेरी वफाओं हर हर्फ दोहरा लिया है मैंने,
तेरी बेवफाइयों का हिसाब अभी बाकी है

एक शर्त जीत गए तुम हरा कर मुझे इस दिल के खेल में,
मेरे मासूम दिल के टुकड़ों का जवाब अभी बाकी है

मेरी बेकुसूर चाहत को मेरा जुर्म बनाने वाले,
तेरे वादों के कुछ गवाह अभी बाकी है

मेरे कोमल अरमानों की पहली कली थे तुम,
डाली पर अब बस मुरझाए हुए से कुछ गुलाब बाकी है

आप प्रकाशित भागों के अंत तक पहुँच चुके हैं।

⏰ पिछला अद्यतन: Oct 14, 2022 ⏰

नए भागों की सूचना पाने के लिए इस कहानी को अपनी लाइब्रेरी में जोड़ें!

kahi ankahiजहाँ कहानियाँ रहती हैं। अभी खोजें