चमक रहा है वो जुगनू जो है तेरे नाम का,
तेरी यादों पर वक्त की धूल चढ़ना अभी बाकी है,तेरी चाहतों की इंतहा देख ली मैंने,
मेरी मुहब्बतों का सैलाब अभी बाकी हैदिल के झरोखे में अब भी है तेरे इनकार का दिया,
उसमे मेरे मासूम इजहार की आंच अभी बाकी हैतेरे नींदों में होगा सुकून का मौसम,
मेरी रातों में तेरा ख्वाब अभी बाकी हैलिपट कर आज भी करती है तेरी खुशबू कुछ बातें,
मेरे घर के उस कोने उन रतजगो की बात अभी बाकी हैमेरी वफाओं हर हर्फ दोहरा लिया है मैंने,
तेरी बेवफाइयों का हिसाब अभी बाकी हैएक शर्त जीत गए तुम हरा कर मुझे इस दिल के खेल में,
मेरे मासूम दिल के टुकड़ों का जवाब अभी बाकी हैमेरी बेकुसूर चाहत को मेरा जुर्म बनाने वाले,
तेरे वादों के कुछ गवाह अभी बाकी हैमेरे कोमल अरमानों की पहली कली थे तुम,
डाली पर अब बस मुरझाए हुए से कुछ गुलाब बाकी है