एक दिन मुझे साईं बाबा मिले
बुलाया मुझे साथ चल दो मेरे
राह होगी कठीन पर गिरोगे नहीं
मैं वही कृष्ण हूँ, मैं वही राम हूँ
मंदिरों में जिसे ढूंढते हो सदा
मैं तुम्हारे ह्रदय में ही बैठा सदा
याद करते रहो कर्म करते रहो
मैं सदा साथ हूँ तुम कभी ना डरो
हो मुश्किल घड़ी और कठिन हो डगर
याद करते हुए काट लेना सदा
पार जाओगे तुम जीत पाओगे तुम
ह्रदय को जो मंदिर बनाओगे तुम
मैं तुम्हारा हूँ और तुम मेरे अंश हो
तुम हो ब्रम्हांड में मैं हूँ उससे परे.
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कल्पना की उडान
Poetryकविता मन की वह सहज अभिव्यक्ति है जिसे कई बार हम चाह कर भी आम बोलचाल में व्यक्त नहीं कर पाते है पर वही बात अपनी कविता के माध्यम से बड़ी सरलता से हम लोगो तक पहुंचा लेते है. ठीक उसी प्रकार जैसे गहरी से गहरी वेदना को हम चंद आंसुओं में समेट लेते है.