रिश्ते अनजाने बोल रहे
मन के मयखाने खोल रहे
रस समरसता का घोल रहे
आँखों के आँसू पोंछ रहे
रिश्ते अनजाने बोल रहे
वो घर-घर जाकर डोल रहे
मदद कोई जो मांगे उनसे
भाग-भाग कर पहुंचे उनतक
रिश्ते अनजाने बोल रहे
घर-घर से नाता जोड़ रहे
गुमसुम हताश बैठे लोगों तक
खाकी ने हाथ बढ़ाया
दी मदद हाथ से हाथ मिला
उनको मुकाम तक पहुँचाया
रिश्ते अनजाने बोल रहे
कड़वी सच्चाई खोल रहे
अपनों ने हाथ छुड़ाया
गैरों ने हाथ बढाया
जीवन का पाठ पढ़ाया
रिश्ते अनजाने बोल रहे
मन के मयखाने खोल रहे
जीवन जिसपर कुर्बान किया
उसने हमको अनजान किया.
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कल्पना की उडान
Poetryकविता मन की वह सहज अभिव्यक्ति है जिसे कई बार हम चाह कर भी आम बोलचाल में व्यक्त नहीं कर पाते है पर वही बात अपनी कविता के माध्यम से बड़ी सरलता से हम लोगो तक पहुंचा लेते है. ठीक उसी प्रकार जैसे गहरी से गहरी वेदना को हम चंद आंसुओं में समेट लेते है.