शुक्रिया

23 4 4
                                    

चलो यूं ही हमने आपके लिए कुछ अल्फाज चुन लिए,
बेखयाली में ही कुछ ख्वाब बुन लिए।
इस प्यासे को जैसे सहारा मिल गया हो,
बूंद की तलास में जैसे दरिया मिल गया हो।।

लाख शुक्रिया करू अगर तो वो भी कम है,
बंजर सी जमीन को तुमने प्यार से जो सींचा है।
हमसे कोई उम्मीद न रख के तुम जो चलते हो,
क्या तुम भी अपना दर्द कभी इज़हार करते हो?

चलो माना की हम हैं थोड़े से मतलबी,
फिर भी तुमने न रखी कोई कमी।
क्या ही बोले अब वही न समझ सके,
शुक्रिया के अलावा कोई शब्द हम न ढूंढ सके।।

A Soul In Painजहाँ कहानियाँ रहती हैं। अभी खोजें