Part 1

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कामिनी एक 28 साल की शादी शुदा महिला है जिसका पति रघु, पुलिस में कांस्टेबल है। कामिनी एक सुन्दर औरत है जो दिखने में एक लड़की की तरह दिखती है। ऊंचा कद, छोटे स्तन, गठीला सुडौल शरीर, रसीले होंट, काले लम्बे बाल ओर मोहक मुस्कान।

रघु एक शराबी कबाबी किस्म का आदमी था जो की पत्नी को सिर्फ एक सेक्स का खिलौना समझता था। उसकी आवाज़ में कर्कशता और व्यवहार में रूखापन था। वोह रोज़ ऑफिस से आने के बाद अपने दोस्तों के साथ घूमने चला जाता। पुलिस में होने के कारण उसका मोहल्ले में बहुत दबदबा था।
उसको शराब और ब्लू फिल्म का शौक था जो उसे अपने पड़ोस में ही मुफ्त मिल जाते थे। रोज़ शराब पी के घर आता और ब्लू फिल्म लगा कर देखता। फिर खाना खा कर अपनी पत्नी से सम्भोग करता यह उसकी रोज़ की दिनचर्या थी।

बेचारी कामिनी का काम सिर्फ सीधे या उल्टे लेट जाना होता था। रघु बिना किसी भूमिका के उसके साथ सम्भोग करता जो कई बार कामिनी को बलात्कार जैसा लगता था। उसकी कोई इच्छा पूर्ति नहीं होती थी ना ही उस से कुछ पूछा जाता था।
वह अपने पति से बहुत तंग आ चुकी थी पर एक भारतीय नारी की तरह अपना पत्नी धर्म निभा रही थी। पहले कम से कम उसके पास अपना बेटा था पर उसके जाने के बाद वह बिलकुल अकेली हो गई थी। उसका पति उसका बिलकुल ध्यान नहीं रखता था सम्भोग भी क्रूरता के साथ करता था। न कोई प्यारी बातें ना ही कोई प्यार का इज़हार। बस सीधा अपना लिंग कामिनी की योनि में घुसा देना। कामिनी की योनि ज्यादातर सूखी ही होती थी और उसे इस तरह के सम्भोग से बहुत दर्द होता था पर कुछ कह नहीं पाती थी क्योंकि पति घर में और भी बड़ा थानेदार होता था।

इस प्रताड़ना से कामिनी को महीने में पांच दिन की छुट्टी मिलती थी जब मासिक धर्म के कारण रघु कुछ नहीं कर पाता था। रघु की एक बात अच्छी थी की वो पुलिसवाला होने के बावजूद भी पराई औरत या वेश्या के पास नहीं जाता था।
कामिनी एक कंपनी में सेक्रेटरी का काम करती थी। वह एक मेहनती और ईमानदार लड़की थी जिसके काम से उसका बॉस बहुत खुश था। उसका बॉस एक 40 साल का सेवा-निवृत्त फौजी अफसर था। वह भी शादीशुदा था और एक दयालु किस्म का आदमी था।
कई दिनों से वह नोटिस कर रहा था कि कामिनी गुमसुम सी रहती थी। फौज में उसने औरतों का सम्मान करना सीखा था। उसे यह तो मालूम था कि उसका बेटा नहीं रहा पर फिर भी उसका मासूम दुखी चेहरा उसको ठेस पहुंचाता था। वह उसके लिए कुछ करना चाहता था पर क्या और कैसे करे समझ नहीं पा रहा था।
वह उसके स्वाभिमान को ठेस नहीं पहुँचाना चाहता था। उधर कामिनी अपने बॉस का बहुत सम्मान करती थी क्योंकि उसे अपने बॉस का अपने स्टाफ के प्रति व्यवहार बहुत अच्छा लगता था। बॉस होने के बावजूद वह सबसे इज्ज़त के साथ बात करता था और उनकी छोटी बड़ी ज़रूरतों का ध्यान रखता था।
सिर्फ कामिनी ही नहीं, बाकी सारा स्टाफ भी बॉस को बहुत चाहता था। एक दिन, जब सबको महीने की तनख्वाह दी जा रही थी, बॉस ने सबको जल्दी छुट्टी दे दी। सब पैसे ले कर घर चले गये, बस कामिनी हिसाब के कागजात पूरे करने के लिए रह गई थी।

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