अनकही बातें

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अनकही बातें

आओ सुनाये तुम्हें बीते हुए पलों की,
कुछ खट्टी, कुछ मीठी दास्ताँ।
कुछ हमारी, कुछ आपकी बात करते हैं,
चलो कुछ बीते हुए लम्हें याद करते हैं।

शुरू हुई थी अजीब दास्ताँ अनकही बातों के साथ,
खत्म हो गई वह अजीब दास्ताँ उन्हीं अनकही बातों के साथ।
खामोश था वो मन, खामोश था वो दिल।
उसी खामोशी में रह गई कई बातें अनकही।

हकीकत में देखा सालों बाद,
सोचा था छुपा लेंगे अपना प्यार,
खामोश रहेगा मेरा इकरार,
सोचा था वक्त देगा मेरा साथ,
बढ़ाएगा दूरियां,
लाएगा एक नया एहसास,
पर क्या पता था मुझे,
तुम मिलोगे फिर से,
एक अगले मोड़ पर कहीं,
तुम्हें देखते ही फिर पहुँच गए वहीं,
शुरू हुई थी जहाँ से मेरे प्यार कि कहानी,
जो हम कभी बयाँ न कर सके,
अपनी जुबानी।

दिल में थी एक अजब सी बेचैनी,
दिल और दिमाग में था युद्ध छीड़ा,
दिमाग में थी उसे अनदेखा करने की चाह,
दिल में थी उसे पाने की राह।

दोनों थे अपने अपने रास्ते,
पर किसे था पता,
किस्मत ने लिखी है एक नई दास्ताँ,
किस्मत ने लिया अप्रत्याशित मोड़ यहाँ।

हो गई मेरे दिल की चाह पूरी,
सालों बाद नज़रों से नज़रें मिली।
देख के तुम्हें हुआ इस बार एक नया एहसास।
दिल में था डर,
तुम कहीं देख के अनदेखा न कर दो।
तुमने भी देखा मुझे एक नये एहसास के साथ,
ऐसा एहसास हुआ मुझे।
ये एहसास था हमारे बीते हुए लम्हों का,
हमारी बीती हुई दोस्ती का और एक तरफ़ा प्यार का।

बहुत कुछ था मुझे कहना,
बहुत कुछ था तुम्हें कहना।
उस एक पल के मुलाक़ात में,
तुम्हारी उस ख़ामोशी ने कह दिए कई लफ्ज़।

थोड़ा हम मुस्कुराये,
थोड़ा तुम मुस्कुराये।
वो वह मुस्कुराहट थी,
जिसने उस खामोशी का भी पूरा एहसास करा दिया।
एक नया एहसास हुआ,
दर्द भरी ख़ामोशी भी कितनी खूबसूरत होती है।

थोड़ा हम डरे घबराये थे,
थोड़ा तुम डरे घबराये थे।
उस एक पल के घबराहट में,
तुमने सारी अनकही बातें कह दी।

हमारे अनकहे लफ्ज़ो की,
एक अजीब दास्ताँ है।
एक नया एहसास है,
दो लफ्ज़ो की बात है।

।कुछ बातें जो अनकही रह गई। अनकही बातें।

- सृष्टिकासौम्या

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⏰ Last updated: Apr 17 ⏰

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