मैं बहुत दूर जा चुका हूं...

1 0 0
                                    

दिल को बैठकर समझा चुका हूं।
सपना समझकर भुला चुका हूं।
तुम कहती हो लौट आओ...
अब मैं बहुत दूर जा चुका हूं।

कहती है," पहले की तरह खींचो मेरे गालों को।
अपनी उंगली से संवारो इन बालों को।"
मैं अपने बाल बढ़ा चुका हूं।
मैं बहुत दूर जा चुका हूं।

कहती है," करो मुलाकात चांदनी रातों में।
रख दो ना कोहिनूर मेरे हाथों में।"
मैं वो खजाना लुटा चुका हूं।
मैं बहुत दूर जा चुका हूं।

कहती है," सुनाओ ना अपनी मधुर आवाज में।
अपनी शायरी, अपने अंदाज में।"
मैं रो रो कर सबको सुना चुका हूं।
मैं बहुत दूर जा चुका हूं।

कहती है," हाथों में मेरे हाथों को पकड़ो।
फिर कस कर अपनी बाहों में जकड़ो।"
मैं अपनी बाहें फैला चुका हूं।
मैं बहुत दूर जा चुका हूं।

कहती है," पहले की तरह सीने पर सुलाओ ना।
प्यार से मुझे जान बुलाओ ना।"
मैं अपनी जान गंवा चुका हूं।
मैं बहुत दूर जा चुका हूं।

कहती है," चांद में फिर तुम्हारा चेहरा दिखा है।
मेहदी में नाम तुम्हारा लिखा है।"
मैं अपना नामो निशान मिटा चुका हूं।
मैं बहुत दूर जा चुका हूं।

कहती है," अपने चुम्मन से तुमको सुलाउंगी।
अपने हाथों से खाना खिलाऊंगी।"
मैं तो जहर खा चुका हूं।
मैं बहुत दूर जा चुका हूं।

कहती है," चलो चलें वही अपना पुराना शहर।
गाएं प्यार के गीत, करें दुनिया का सफर।" मैं किसी और जहां को दुनिया बना चुका हूं।
मैं बहुत दूर जा चुका हूं।

कहती है," अकेले चलने में डर लगता है।
मुझे अंधेरे में डर लगता है।"
मैं अपना चिराग बुझा चुका हूं।
मैं बहुत दूर जा चुका हूं।

कहती है," तुम्हारे बगल बैठना चाहती हूं।
कंधे पै सिर रखना चाहती हूं।"
मैं चार कंधों पै लद कर जा चुका हूं।
मैं बहुत दूर जा चुका हूं।

कहती है," शरद का हर वार खुद पर सहूंगी।
बदन से तुम्हारे लिपटी रहूंगी।"
मैं वो बदन राख में मिल चुका हूं।
मैं बहुत दूर जा चुका हूं।

कहती है," वही है पता, वही है ठिकाना।
हो सके तो घर जरूर आना।"
मैं आसमान में घर बसा चुका हूं।
मैं बहुत दूर जा चुका हूं।

शिकंदर की शिकस्तजहाँ कहानियाँ रहती हैं। अभी खोजें