part2

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हम दोनो मिलकर वहा जाते और रात मे रौशनी से भरा शिमला शहर देखते । ऊपर ऊँचाई पर बैढ़ने के बाद उसने मुझे मुझे पुछा," अवि. तुम मुझसे कितना प्यार करती हो ?" मैं अपनी बाहे फैला लेती और बोलती, "इतना सारा।" वो मुझे अपनी बाहों में भर लेता। में उसका माथा चुमती और बोलती, "हम शादी के बाद ना एक बीच पर जाएंगे।" वो मुस्कुरा देता। उसकी लाइफ फिक्सड थी। वो कहता की मैं पूरी दुनिया घुमुंगा। पुरी दुनिया को अपने छोटेसे कॅमेरे में कैद कर लेना चाहता था वो। पर मैने अभी अपनी जिंदगी के बारे में कुछ भी नहीं सोचा था। मैं तो बर कॅलेज खतम करके उससे शादी करना चाहती थी। दो साल बाद एक दिन डिग्री मिलने के बाद मैने उसे पुछ हि लिया," ताशी! क्या तुम मुझसे शादी करोगे?" उसने मुझे साफ मना कर दिया। "मुझे अभी अपना करीयर बनाना हैं। मैं अभी शादी करके सेटल नहीं हो सकता, इस चीज़ के लिए मुझे अभी थोडा समयलगेगा।" वो इतना कहकर गुस्से में चला गया। मैं घर जाकर बोहोत रोई, गुस्सा थी मैं उससे और उतने में ही मुझे एक मेल आया, "मिस monami, यु आर सिलेक्टेड फॉर रिपोश्टर्स ट्रेनिंग। यु हाँव टु कम टु दिल्ली नेक्सट संडे।" मैने गुम्से गुस्से में ट्रेनिंग के लिए एप्रुवल दे दिया। में ट्रेनिंग के लिए चली गई। वहा जाने के एक हफ्ते बाद मुझे सॉरी बोलने आया। मैने उसे माफ कर दिया। अब हर विकेंड पर था तो में वो दिल्ली आजाता या मैं शिमला चली जाती। मेरी ट्रेनींग को दो साल पूरे हो गए थे और मेरी जब लग गई थी। उतने मे ताशी का फोन आया। "सुनो monu, क्या तुम मुझसे शादी करोगी?" मैने उसे बोल दिया की अभी अभी हि मेरी जॅब लगी हैं। और मुझे रिपोर्टिंग करनी हैं। उसने बिना कुछ बोले फोन रख दिया। इस बार ना वो दिल्ली आया, ना में शिमला गई। एसे ही बिना कुछ bole या सुने चार साल पुरे हो गए थे। Mai do hafte ki chutti ke baad शिमला चली गई। मैं पुरे चार साल बाद अपने वही पसंदिदा आरामदायक पलंग पर लेट गई। मेरे फेसबुक पर एक मैसेज आया। मैने वो देखा। पड़ोस वाली ऑटी का था। लिखा था, "बधाई हो ताश। शादी की चौथी सालगिराह मुबारक हो।" क्या karan ने शादी कर ली ? क्या karan अब मेरेसे प्यार नहीं करता ? क्या karan मुझे भुल गया? हजारो सवालो के साथ मेरे आँखों से आसु गिर पडा । यही सब सोचते - सोचते कब नींद लग गई पता ही चला। मैं सुबह उठी और तारीख देखकर उसकी याद के साथ आसु का एक कतरा भी मेरी आँखो मे आ ठहरा। ये प्यार भी अजीब सा होता हैं, माशुक की याद में एक प्यारी सी मुस्कानो के साथ आसु भी आ जाते हैं। मैं उस सर्व मौसम में, अपनी प्यार की सालगिरह मनाने फिरसे उसही पहाडी पर चढने गई थी। उसकी यादो के साथ मैने पहाड़ चढ़ लिया। शाम हो गई थी। शायद आस्मान भी मुझसे नाराज़ था।

एकदमसे सर्द हवा का एक बड़ा झोका मेरी ओर आया और में पिछे मुडी । उसी पहाड़ की दूसरी ओर karan खड़ा था। उसके तरीके और सलके पुरी तरह से बदल चुके थे। उसने अपनी daadhi बढ़ा ली थी पर वो उसी सफेद टि-शर्ट में खड़ा था। उतने में उसे फोन आया। वो उठाकर बोला, "हैलो! हाँ, हाँ बेटा में आते समय ले आऊँगा। देखो बेटा ज़िद ना करो। Monu..." Monu। उसने अपनी बेटी का नाम monu रखा हैं, मतलब वो मुझे नहीं भुला । दिल तो किया कि उसे कसके गले लगालु पर वो जा चुका था। मेरे दिल से बस एक हि आवाज निकली मैं हमेशा प्यार करूंगी.

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Moran Short Stories ❤️❤️Where stories live. Discover now