Aesthetics.

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Dhruv Jurel

"तेरी ज़ुल्फ़ जब भी बिखर जाती हैए हसीं तू हसीं और हो जाती हैजो किताबों में पढ़ते रहे आज तकवो परी हमको तुझमे नज़र आती है"

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"तेरी ज़ुल्फ़ जब भी बिखर जाती है
हसीं तू हसीं और हो जाती है
जो किताबों में पढ़ते रहे आज तक
वो परी हमको तुझमे नज़र आती है"

Ishita Shah

"आँखें तेरी, कितनी हसींके इनका आशिक़, मैं बन गया हूँमुझको बसा ले, इनमें तू"

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"आँखें तेरी, कितनी हसीं
के इनका आशिक़, मैं बन गया हूँ
मुझको बसा ले, इनमें तू"

Them

"ओ, तन में सूइयाँ-सूइयाँ सीसूइयाँ-सूइयाँ सी अब तो लगी चुभनेओ, तन में सूइयाँ-सूइयाँ सीसूइयाँ-सूइयाँ सी लगी-लगी चुभने"

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"ओ, तन में सूइयाँ-सूइयाँ सी
सूइयाँ-सूइयाँ सी अब तो लगी चुभने
ओ, तन में सूइयाँ-सूइयाँ सी
सूइयाँ-सूइयाँ सी लगी-लगी चुभने"


Rainbows And Sunsets ~ A Dhruv Jurel Fanfiction Where stories live. Discover now