फिर उस रात को जीजी दवाई लेकर सो गई और हमें कह दिया कि दूध पीकर सो जाना.
सलोनी और मेरा बिस्तर एक ही कमरे में लगा था.
कमरे में हम दोनों देर रात तक टीवी देखते रहे.
मेरी नजर बार बार उसकी चूचियों पर जा रही थी.
रात के कारण मेरे ऊपर हवस भारी होने लगी और अब मेरे मन में खुराफात आने लगी.
उसे देख कर मेरा लंड बार-बार हिचकोले खा रहा था.
सलोनी की जवानी देख मेरा मन कर रहा था कि अभी पकड़ कर उसकी गांड मार लूं.
तभी मेरी नजर नींद की दवाइयों पर पड़ी. मेरे मन में योजनाओं घोड़े दौड़ने लगे.
जब उसको हल्की नींद आने लगी तो वो उठकर जाने लगी.
मैं समझ गया कि शायद वो पेशाब करने जा रही है.
मैंने इसी समय का फायदा उठाया और नींद की गोली जल्दी से कूटकर उसके दूध में मिला दी.
फिर वो वापस आ गई. उसने लोटे से दूध पिया और अपने बिस्तर पर जाकर सो गई.
मैं बहुत खुश था क्योंकि मेरा प्लान सफल होने वाला था.
अब मुझे टीवी देखना अच्छा नहीं लग रहा था.
मेरे दिल की धड़कन बढ़ रही थी और एक एक पल मुझे बहुत ही ज्यादा भारी लग रहा था.
ऊपर से मेरा लन्ड कच्छा फाड़ कर बाहर आने के लिए आतुर हो रहा था.
मुश्किल से मैंने आधा घंटा काटा और फिर टीवी बंद कर दिया.
अभी मैं सलोनी को छूने का रिस्क नहीं लेना चाह रहा था क्योंकि वो जवान थी और हो सकता था कि गोली का पूरा असर हुए बिना वो नींद से जाग जाती.
इसलिए मैं उठकर बाहर निकल गया.
बाहर निकलते ही वहां जीजी अपनी खाट पर सोती हुई दिखाई दी.
उसका पेटीकोट उसके घुटनों तक सरक चुका था.
मेरे मन में जीजी की चूत के ख्याल आने लगे.
मैंने देखा कि जीजी गहरी नींद में सो रही है तो मैंने जीजी का पेटिकोट ऊपर उठाना शुरू किया.
उसकी गोरी चिकनी मखमली जांघों को देखकर मेरा जिस्म भी गर्म होने लगा.
जीजी करवट के बल लेटी थी तो मैं जीजी के चूतड़ देखकर पागल हो गया.
मेरा दिल जोरों से धड़कने लगा.
मैं मुंह को उसकी गांड के पास ले गया, फिर उसके चूतड़ों को चाटने लगा.
मैं जीजी की गांड के साथ खेलने लगा.
फिर मैंने धीरे से उसको सीधा किया और पैरों को फैला दिया.
अब मुझे जीजी की चूत के साफ साफ दर्शन हो रहे थे.
पहली बार इतनी नजदीक से चूत को देख कर मेरी हालत खराब हो रही थी.
अब मैं उसकी चूत को चाटने लगा.
मुझे बहुत मजा आ रहा था.
मैंने अपने दो उंगलियों को जीजी की बुर में घुसा दिया.
बेहद आनंद आ रहा था मुझे उसकी चूत में उंगली चलाते हुए.
नींद की गोलियां खाने की वजह से जीजी बिल्कुल भी होश में नहीं थी.
उसे कुछ भी पता नहीं चल रहा था कि उसकी चूत में उंगली जा रही है.
अब मेरा पूरा मूड बन चुका था और मुझसे रहा नहीं जा रहा था. सेक्स मुझ पर इतना हावी हो चुका था कि मुझे यह भी ध्यान नहीं रहा कि मैं सलोनी की बुर मारना चाहता हूँ.
फिर जब मैं अपना लंड निकालने लगा तो याद आया कि सलोनी भी तो है. मैंने जीजी की चूत में लंड घुसाने का विचार टाल दिया और मेरा ध्यान सलोनी पर चला गया.
मैं आकर उसके पास लेट गया.