मैं समझ गया कि मेरी बहन की जवान बेटी भी वही चाहती है, जो मैं चाहता हूँ.
मेरे लंड का अगला भाग मेरी भानजी की बुर में जा चुका था … अब मैं उसके ऊपर लेटकर उसकी चूचियों को मुंह में लेकर चूसने लगा.
मुझे बहुत ही ज्यादा आनंद आ रहा था.
फिर मैंने एक धक्का और मारा तो मेरा लगभग 5 इंच लंड अंदर चला गया.
लगभग 2 इंच लंड अभी बाहर था.
मैंने उसकी बुर को देखा तो उसमें मेरा लंड फंसा हुआ था. उसकी चिकनी कमसिन बुर में खुद का लंड देख कर मुझे और जोश आ गया.
मैं फिर से उसे चोदने लगा और मुझे असीम आनंद की प्राप्ति होने लगी.
मुझे लगा जैसे मैं स्वर्ग में हूं.
मैं धीरे-धीरे लंड को आगे पीछे करता रहा.
अब उसकी बुर में लगभग पूरा लंड ही जा चुका था.
चुदते हुए वो थोड़ा हिल रही थी और कसमसा रही थी कराह रही थी लेकिन उसने मुझे रोका नहीं.
सलोनी के नाखून मेरी पीठ में गड़ रहे थे. शायद वो अपनी पहली चुदाई के दर्द का मजा ले रही थी.
सलोनी की बुर मारने का वो आनंद मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता.
उसको चोदते हुए मैं बीच बीच में उसकी चूचियों को भी पी रहा था, उसके मुंह में उंगली दे रहा था.
मैं उसके जिस्म का पूरा मजा ले रहा था, हर जगह से उसको किस कर रहा था, उसको चूम चाट और काट रहा था.
मैंने उसके जिस्म के हर अंग पर अपनी मोहब्बत का निशान छोड़ा.
काफी देर तक मैंने उसकी बुर को बजाया. उसके बाद मैंने उसकी बुर की गहराई में ही अपने लंड का फव्वारा छोड़ दिया और वैसे ही उसके ऊपर लेट गया.
मुझे नहीं पता कि उसे इस चुदाई में मजा आया या नहीं … लेकिन वो दोबारा सो चुकी थी.
10 मिनट के बाद मैं उठा और अपना लंड साफ किया.
मैंने उसकी बुर को भी साफ किया.
मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि अपने खुराफाती दिमाग की बदौलत मैं अपनी जवान भांजी की बुर मार चुका हूं.
मैं उसको नंगी लेटी हुई देखता रहा. वो थकी हुई सी लग रही थी.
उसकी बुर लाल हो चुकी थी.
मेरा फिर से मन डोलने लगा और मैंने उसकी बुर को चाटना शुरू कर दिया.
फिर से उसकी बुर में उंगली से चोदा.
मेरी इन हरकतों से वो फिर जाग गयी. पर वो थकी हुई सी लग रही थी, उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं की.
अब मेरा ध्यान उसकी गांड पर चला गया.
मैंने उसकी गांड को छेड़ना शुरू किया. मैंने उसकी गांड के छेद पर तेल लगाया और उसमें उंगली चलाने लगा.